येदे गरमी के दिन आगे

येदे गरमी के दिन आगे
चारो कुती घाम हा बाड़ गे
घाम के झाँझ मा तन हा लेसागे
तन ले पसीना पानी कस चुचवागे
रूख-राई के छैईहा सिरागे
येदे गरमी के दिन आगे।
पानी के बिना काम नी चले
चारो कुती पानी के तगई छागे
तरिया-डबरी, नरवा-डोगरा जम्मो सुखागे
गरमी के घाम ला देख के जी थरागे
येदे गरमी के दिन आगे।
चिरई-चिरबुन, जानवरमन पानी बर तरसे
चिराई-चिरबुन, जानवरमन छैइहा खोजे
पानी के तिर मा जाके बसेरा डाले
चिरई-चिरबुन, जानवरमन छैईहा मा आके बैठे
माझनिया के घाम ला कोनो नई सहे
येदे गरमी के दिन आगे।
ठण्डा -ठण्डा जिनीस बड़ सुहाथे
गाँव-गाँव बरफ बेचे ल आथे
बोरे-बासी आजकल अड़बड़ मिठाथे
गोदली के माला नवटपा ले बचाये
चारो कुती के भुईया लकलक ले तीपे
येदे गरमी के दिन आगे।
Hemlal photo

 

 

 

हेम लाल साहू

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2 Thoughts to “येदे गरमी के दिन आगे”

  1. Mahendra Dewangan Maati

    सही बतायेस साहू जी गरमी के मारे सब हाल बेहाल होगे हे|
    पसीना ह चुचवावत हे

  2. हेमलाल साहू

    आपमन ल भी बहुत बहुत धन्यवाद गुरुजी जोन हमर रचना ल पसंद करेव । राम राम जय जोहर पाहुचत हे स्वीकार करहु । महेंद्र देवागन जी

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